अमेरिका में फाइजर के COVID-19 Vaccine को मंजूरी देने के लिए पहले से ही दबाव था। इसे मंजूरी देने के लिए अमेरिका की फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन यानी एफडीए पर दबाव था। अमेरिकी मीडिया के रिपोर्ट्स के जानकारी के मुताबिक एफडीए के प्रमुख स्टीफन हान से यह कह दिया गया था कि या तो वे इस वैक्सीन को मंजूरी दें या फिर अपना पद छोड़ दें। उनकी मानें तो वे इन रिपोर्ट्स को गलत ठहरा रहे हैं।
- इस वैक्सीन की वकालत गुरुवार को एफडीए के विशेषज्ञों ने की थी।
- इसके बाद से ही इस पर तत्काल निर्णय लेने के लिए अमेरिकी स्वास्थ्य मंत्रालय ने बयान दिया था।
- आपको बता दें कि अमेरिका से पहले कई देशों ने इस वैक्सीन को मंजूरी दे दी है।
- इनमें कनाडा, बहरीन, ब्रिटेन और सऊदी अरब शामिल है।
- अमेरिका में COVID-19 से बुधवार को 3000 लोगों की मौत हुई थी।
- यह एक दिन में कोरोना से मरने वालों का सबसे बड़ा आंकड़ा है।
क्या है पूरा मामला?
फाइजर वैक्सीन की आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति देने के लिए मेडिकल विशेषज्ञों ने गुरुवार को एफडीए से सिफारिश की थी।
इसके बाद एफडीए ने अपना बयान जारी किया।
इसमें उसने बताया कि फाइजर कंपनी को हालिया प्रगति के विषय में सूचित कर दिया है। उसने यह भी कहा था कि अमेरिकी सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल और प्रीवेंशन एंड ऑपरेशन को भी इस विषय को लेकर सतर्क कर दिया गया है।
एफडीए को पड़ा झुकना?
दरअसल शुक्रवार को अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने गुस्से में आकर एफडीए को ध्यान में रखते हुए एक ट्वीट किया था। इस ट्वीट में उन्होंने इसे ‘पुराना’ और ‘धीमा कछुआ’ कहा था। उन्होंने न केवल एफडीए को ऐसा कहा बल्कि उसके प्रमुख स्टीफन को भी संबोधित करते हुए लिखा कि डॉ. हान गेम खेलना बंद कीजिए और जिंदगी बचाना शुरू कीजिए। तीन सूत्रों के हवाले से वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा था कि व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ मार्क मीडोस ने एफडीए के प्रमुख को आदेश दिया था कि COVID-19 Vaccine की मंजूरी वह शुक्रवार तक दें या फिर अपना पद छोड़ दें। वहीं दूसरी ओर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बिडेन ने इस पूरे विवाद में कहा कि वैक्सीन को लेकर कोई राजनीतिक दबाव की जगह नहीं है।
ब्रिटेन में सबसे पहले दी मंजूरी



फ़ाइज़र कंपनी के वैक्सीन को मंजूरी देने वाला दुनिया में ब्रिटेन सबसे पहला देश है। फिलहाल के लिए इस वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग के लिए एक अस्थायी मंजूरी इस कंपनी को दी गई है।
आपको बता दें कि यह कंपनी दावा करती है कि उसकी वैक्सीन 95% तक कोरोना वायरस से बचाव कर सकती है। ब्रिटेन में वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी पिछले सप्ताह ही दी गई थी। हालांकि, इसे लगवाना पूर्ण रूप से अनिवार्य नहीं है।
भारत से भी मांगी अनुमति
- भारतीय दवा नियामक यानी ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया इंडिया से ‘फाइजर इंडिया’ ने भारत में भी वैक्सीन के आपातकालीन स्थल के लिए अनुमति मांगी है।
- ब्रिटेन और बहरीन के बाद यह कंपनी चाहती है कि भारत में भी बिक्री और वितरण का अधिकार मिले।
- बहरीन ने अपनी ओर से शुक्रवार को यह घोषणा की थी कि उसने अपने देश में इस टीके को मंजूरी दे दी है।
- भारत के पास फ़िलहाल ऐसी कई चुनौतियां हैं जिससे हमें कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
- टीके को स्टोर करने के लिए कोल्ड स्टोर की ज़रूरत पड़ेगी।
- इसके बाद वैक्सीन की डिलीवरी भी बड़ी चुनौती है।
- दूर-दूर के इलाकों तक इसे पहुंचाना।
- साथ ही माइनस 70 डिग्री पर इसे रख पाना हमारे लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।
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