भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy 1984) औद्योगिक इतिहास का सबसे बड़ा हादसा है। उस मनहूस रात हजारों लोगों ने आज तक सुबह नहीं देखा। इस त्रासदी में जो बच गए उनकी जिंदगी आज भी अंधेरे में है। आज भी जब इसे लोग याद करते हैं तो सब सिहर उठते हैं। इस त्रासदी को 36 साल बीत गए लेकिन लोग इसे ना भूल पाए।
इस बात से सभी अनजान थे कि शहर में गैस का रिसाव हो रहा है।
हुई हजारों लोगों की मौत
1984 में 3 दिसंबर की रात को भोपाल शहर में एक जहरीली गैस का रिसाव शुरू हो जाता है। यह गैस है मिथाइल आइसोसाइनेट। अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड के प्लांट के टैंक नंबर 610 से यह गैस लीक होकर पूरे शहर में फैलने लग जाता है। लोग इस बात से बेखबर थे और भोपाल गहरी नींद में था। उन्हें यह तक पता नहीं था कि यह रात उनकी आखिरी रात होगी। लोगों की नींद तब खुली जब हर तरफ अफरा-तफरी मच गई थी। लोग हवा में नजर आती मौत से लड़ने की कोशिशों में लगे थे। सुबह तक ये हवा इतनी जहरीली हो गई थी कि 15,000 से ज्यादा लोगों ने जिंदगी की लड़ाई में हार मान लिया। यह सदी की सबसे भयानक त्रासदी थी। उस समय जहां भी नजर पड़े वहां सिर्फ लाशें दिखाई देती थी। हजारों लोगों ने अपनी जिंदगी इस गैस के रिसाव के कारण गंवा दी।
MIC गैस का रिसाव – (Bhopal Gas Tragedy 1984)
भोपाल में जो गैस लीक हुई थी उसका नाम है मिथाइल आइसोसाईनेट गैस। यह एक अमेरिकी कंपनी थी जिसने भोपाल में यूनियन कार्बाइड के प्लांट को स्थापित किया था। जानकारियों के मुताबिक इस फैक्ट्री से 40 टन गैस का रिसाव हुआ था। इस त्रासदी में करीबन 5 लाख लोग प्रभावित हुए। हम आज भी भोपाल जाए तो स्थानीय लोग बताते हैं कि यह गैस इतना जहरीला था कि केवल 1 घंटे में हजारों लोगों की मौत हो गई थी।रात में सोए लोगों ने अगले दिन का सूरज नहीं देखा। उस दिन हर तरफ, चारों ओर सिर्फ चीख-पुकार की शोर मच हुई थी।
डरावनी है तस्वीरें



भोपाल गैस त्रासदी की सबसे डरावनी तस्वीर यह है। इस तस्वीर सही अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस वक्त स्थिति कितनी भयावह थी। इसे देख आज भी लोगों की रूह कांप जाती है। इस की बरसी पर कार्यक्रम आयोजित किया जाता है लेकिन वही दूसरे ओर पीड़ितों को न्याय आज तक नहीं मिला है।
लड़ाई है जारी- Bhopal Gas Tragedy 1984
इस घटना को 36 साल बीत गए लेकिन पीड़ितों को सही मुआवजा आज तक नहीं मिला। कई संगठन ऐसे हैं जो इन्हें उचित मुआवजा दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इन पीड़ितों के लिए बने अस्पताल में इलाज भी सही से नहीं होता। मृतकों को दोषी कंपनी ने 10 लाख़ रुपए मुआवजा के तौर पर देने का वादा किया था।
यह मुआवजा कइयों को मिला लेकिन आज भी इसके लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।
आज भी है असर



- 37 साल तो केवल आंकड़ा है, असल में आज भी यहां इस त्रासदी का असर देखने को मिलता है।
- इस घटना के वर्षों बाद भी लोगों की यादें इसकी वर्षी पर ताजा हो जाती है।
- गैस पीड़ित लोगों की पीढ़ी किसी न किसी बीमारी से ग्रसित है।
- उनकी दूसरी और तीसरी पीढ़ी बीमारियों के चपेट में है।
- आज भी कई ऐसे बच्चे हैं जो मानसिक रूप से विकलांग ही पैदा होते हैं।
- थायरॉयड से पीड़ित भी ऐसे कई लोग हैं जो इस त्रासदी से हुई परेशानियों को झेल रहे हैं।
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