त्योहारों का सिलसिला छठ महापर्व पर जाकर खत्म होता है। दीपावली के बाद भैया दूज के 1 दिन बाद ही छठ महापर्व शुरू हो जाता है। छठ पूजा नहाय खाय के साथ आज से देश भर में मनाया जाएगा। यह उत्तर प्रदेश और खासकर बिहार में मनाया जाता है।
धूमधाम से मनाए जाने वाले इस पर्व में सूर्य देव की आराधना की जाती है। यह पूजा हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए होती है। इस साल 20 नवंबर को छठ पूजा है।
नहाय-खाय आज



चार दिवसीय छठ पूजा का पहला दिन होता है नहाय-खाय। सबसे पहले घर की साफ सफाई होती है। तत्पश्चात इसकी शुद्धीकरण गंगाजल से की जाती है। शाम को महिलाएं जो कि छठ का व्रत रखती हैं, सबसे पहले वे भोजन करती हैं।
नहाए खाए के दिन छठी माता की पूजा करने का संकल्प लेकर पूजा पाठ किया जाता है। इस दिन सभी छठ व्रतियों द्वारा कद्दू भात खाया जाता है। प्रसाद के रूप में सेंधा नमक में बना हुआ चने की दाल और कद्दू की सब्जी का सेवन किया जाता है। साथ ही घी से बना हुआ अरवा चावल भी खाया जाता है।
सूर्य देव की उपासना
छठ पर्व सूर्य देव और उनकी बहन छठी मैया को समर्पित है। सूर्य देव के साथ-साथ उनकी पत्नी उषा और प्रत्यूषा को भी यह पूजा समर्पित है। पवित्र स्नान, निर्जला उपवास, लंबे समय तक पानी में खड़े रहना, प्रार्थना, प्रसाद और सूर्य देवता को अर्घ्य देने की परंपरा इन 4 दिनों में निभाए जाते हैं।
दूसरे दिन होता है खरना
खरना के दिन छठ व्रतियों द्वारा उपवास रखा जाता है। शाम को खीर और रोटी प्रसाद के रूप में खाया जाता है। इस वर्ष 19 नवंबर को देश भर में करना मनाया जाएगा। खरना के दिन की खीर गुड़ में बनाई जाती है। प्रसाद में मुख्य रूप से ठेकुआ शामिल है।
डूबते सूरज को अर्घ्य
तीसरे दिन अस्त होते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। इस बार सभी छठ व्रती डूबते सूरज को 20 नवंबर को अर्घ्य देंगी। इस दिन पानी का सेवन भी नहीं करना होता है। नदी या तालाब में खड़े होकर अर्घ्य देने के छठ पूजा में परंपरा है।
उदय होते सूरज को अर्घ्य



छठ महापर्व के आखिरी दिन उगते हुए सूरज को अर्घ्य दिया जाता है। पानी में खड़े होकर सुख से सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। घाट पर विधि विधान से पूजा होती है। इसके बाद लोगों में प्रसाद बात कर छठ महापर्व की समाप्ति होती है।
छठ पूजा की सामग्री
- एक चौकी
- सुपड़ी
- बांस की टोकरी
- केले के पत्ते
- गन्ना
- केले
- फल
- पान
- सुपारी
- अक्षत
- कपूर
- हल्दी
- कुमकुम
- सिंदूर
- घी
- दीपक
- पंच पात
- कच्चा दूध
- कलावा
- मूली
- दही
- फूल
- एक साबुत नारियल
- सूथनी
- सिंघाड़ा
आदि
छठ व्रतियों के लिए नियम
- चारों दिन नए कपड़े पहनें।
- सभी व्रती छठ पूजा के चारों दिन चटाई बिछाकर जमीन पर सोयें।
- पूजा के दौरान प्याज लहसुन को मांस-मछली बिलकुल न खायें।
- छठ पूजा में गेहूं के आटे और गुड़ के ठेकुआ जरूर बनाएं।
- फलों में गन्ना और केला ध्यान से रखें।
छठी मैया का पूजा मंत्र
ॐ सूर्य देवं नमस्ते स्तु गृहाणं करूणा करं |अर्घ्यं च फ़लं संयुक्त गन्ध माल्याक्षतै युतम् ||
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