Garima
(Live Akbar Desk)
केंद्र सरकार ने मंगलवार को जम्मू कश्मीर के लिए नए भूमि कानूनों को अधिसूचित किया है जो धारा 370 के मुताबिक स्थानीय लोगों के भूमि पर विशेष अधिकारों को खत्म करता है। अब केंद्र शासित प्रदेश यानी यूनियन टेरिटरी जम्मू और कश्मीर में बाहर के लोग और निवेशक भी जमीन खरीद सकते हैं।
जल्द ही लद्दाख भी होगा शामिल
जम्मू और कश्मीर के बाद लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों के लिए जल्द ही केंद्र एक अलग भूमि कानून अधिसूचित कर सकता है। लेफ्टिनंट गवर्नर मनोज सिन्हा का कहना है कि हम चाहते हैं कि जम्मू और कश्मीर में भी उद्योगों की स्थापना हो। मेरी सरकार प्रगति,समृद्धि और शांति के लिए प्रतिबद्ध है।
पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस का विरोध


सरकार के उठाए गए इस कदम का पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और नेशनल कांफ्रेंस सहित कई राजनीतिक दलों ने विरोध किया। पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने अपने बयान में कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को बेदखल करने के लिए सरकार ने एक और ऐसा कदम उठाया है। धारा 370 हटाने के बाद वहां की जमीन दूसरे राज्य के लोगों द्वारा खरीदने पर जम्मू-कश्मीर के लोगों के लड़ने की जरूरतों को मजबूत करता है।
वहीं दूसरी ओर नेशनल कांफ्रेंस के उपाअध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने यह कहा कि नया कानून जो कि केंद्र सरकार ने जमीन खरीदी को लेकर बनाया है वह जम्मू-कश्मीर की जनता के लिए अस्वीकार्य है।
उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि अब बिना खेती वाली जमीन के लिए स्थानीयता का कोई भी सबूत नहीं देना होगा। साथ ही अब जो गरीब इंसान, जमीन का मालिक है उसकी मुश्किलें अब बढ़ जाएंगी।
पिछले साल हटी धारा 370


केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए पिछले साल जम्मू-कश्मीर को धारा 370 से मुक्त कर दिया था। इस धारा के निष्प्रभावी होते ही लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया था और इसी के बाद 31 अक्टूबर 2019 को इस राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील कर दिया गया। ऐसा होने के 1 वर्ष बाद जमीन खरीद को लेकर यह अहम कानून गृह मंत्रालय द्वारा सूचित किया गया।
जब तक धारा 370 लागू था तब तक केवल जम्मू कश्मीर के निवासी वहां जमीन खरीद सकते थे लेकिन इस फैसले के बाद अब दूसरे राज्यों के लोग भी वहां जमीन ले सकते हैं।
क्या है धारा 370 ?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के अनुसार जम्मू कश्मीर को एक विशेष दर्जा दिया गया था। इसी विशेष दर्जे के कारण वहां धारा 356 लागू नहीं हो पाती थी और केवल वहां के लोग ही जमीन खरीद पाते थे। भारत सरकार ने पिछले वर्ष 5 अगस्त को राज्यसभा में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 पेश किया और परिणाम स्वरूप यह राज्य अनुच्छेद 370 से मुक्त हो गया।

