Live Akhbar Desk-Sweety Jain
परंपरा का हवाला देते हुए कहा गया कि मंदिर में महिलाओं को आने की और पूजा करने की अनुमति है , लेकिन यज्ञ करने की नहीं उसमें सिर्फ पुरुष ही हिस्सा
ले सकते हैं |
नारी और पुरुष के समान अधिकारों की भारत देश में लाख दुहाई दी जाती है | बेटी और बेटे में कोई फर्क नहीं होता कि जोर- शोर से कसीदे पढ़े जाते हैं | बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के नारे लगाए जाते हैं | लेकिन वास्तविक में इतना फर्क है यह इस बार हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में दुर्गा अष्टमी पर देखने को मिला | यहां शूलिनी देवी का प्रसिद्ध मंदिर है | 24 अक्टूबर , शनिवार को हवन यज्ञ में जब महिला आईएएस अधिकारी रितिका जिदंल ने हिस्सा लेना चाहा तो मंदिर के संचालकों ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया और परंपराओं का हवाला दिया | रितिका जिंदल की कार्य कारी तहसीलदार होने के नाते मंदिर का क्षेत्र उनके कार्य क्षेत्र में आता है |
रूढ़िवादिता और परंपराओं के नाम पर महिलाओं से भेदभाव को आईएएस रितिका जिंदल ने गंभीरता से लिया | आखिर देश के सर्वोच्च प्रशासनिक सेवा से जुड़े अधिकारी के साथ यह व्यवहार हो सकता है तो आम महिलाओं के साथ कैसा होता होगा | जब पंडितों और मंदिर से जुड़े अन्य लोगों को रितिका ने समानता का ऐसा पाठ पढ़ाया कि उन्हें वर्षों से चली आ रही परंपरा को बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा | आईएएस अधिकारी ने फिर हवन में हिस्सा भी लिया |
आश्चर्य की बात है कि अष्टमी के दिन हम कन्या की पूजा करते हैं महिलाओं के सम्मान की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं लेकिन साथ ही उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखा जाता है | परंपराओं और रूढियों को ढाल बनाया जाता है |
