LIVEAKHBAR DESK-Rahul Raj
आज पूरी दुनिया कोरोना विषाणु से जुझ रही है ।आज दुनिया के बड़े से बड़े वैज्ञानिक इसकी वक्साइन बनाने में दिन रात एक कर रहे है।
इसी जड़ोजेहड़ में कई वैज्ञानिक ने डू इट योरसेल्फ यानी खुद की बनाई कोरोना वैक्सीन का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।कई वैज्ञानिक तो एक निजी समूह बनकर इस वैक्सीन को अच्छे खासे दाम पर सोशल मीडिया पर भी बेच रहे है।
यह वैज्ञानिक खुद के साथ साथ अपने दोस्तों पर भी इसकी जांच कर रहे है।
हारवर्ड का योगदान –
वैक्सीन बनाने वाले सबसे प्रभावी समूह ” रैपिड डिप्लॉयमेंट वैक्सीन कलेबोरतिव” है।यहां हारवर्ड के प्रसिद्ध एवम् मशहूर वैज्ञानिक जॉर्ज चर्च और उनके २३ साथी भी जुड़े हुए है जो इस तकनीक को और उभारने एवम् पूर्ण सहयोगी बनाने का प्रयास कर रहे है।हालाकि हारवर्ड यूनिवर्सिटी ने यह बयान से दिया है कि इसकी खोजबीन एवम् मैन्युफैक्चर हारवर्ड के अंदर नहीं बल्कि किसी गुप्त लैब में की जा रही है।
क्या कहते है दुनिया के वैज्ञानिक-
इस परियोजना से जुड़े डॉक्टर एस्टीप का कहना है कि अमेरिका स्वीडन चीन और ब्रिटेन में करीब ३० लोगो ने इस प्रोजेक्ट की वैक्सीन ली है। अगस्त में काजाकस्थन के साइंटिफिक सेफ्टी प्रॉब्लम के तहत ७ वैज्ञानिकों ने भी इस वैक्सीन का प्रयोग किया और सफल हुए।
यूं तो इस तकनीक से कोरोना की वैक्सीन बं सकती है या नहीं इसपर वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गनाइजेशन ने कोई भी लिखित आश्वासन एनआईआई दिया है।इस तकनीक से वैक्सीन उत्तपन करना सही है या नहीं कुछ कहा नहीं जा सकता।
पर हम यह ज़रूर के सकते है कि हमारे विश्व के सभी डॉक्टर नर्स एवम् वैज्ञानिक इस जानलेवा विषाणु का तोड़ निकालने में दिन रात जूते हुए है और कुछ ना कुछ प्रयोग कर मानवता की नींव को बचाने का भरसक प्रयास कर रहे है । इसलिए हमे अनपर पूरा विश्वास है तथा गर्व भी है ।
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