अभिषेक बच्चन की ब्रीद इंटो शैडोज वेब सीरीज अमेज़न प्राइम पर 10 जुलाई से स्ट्रीम कर रहीं है। सीरीज के कुल 12 एपिसोड है।
कहानी –
ब्रीद के इस सीजन की कहानी पहले सीज़न की तरह ही है। पहले सीजन में कहानी थी एक पिता की, जो अपने बेटे को बचाने के लिए दूसरों का खून करता है। इस बार कहानी है एक पिता और मां की, जो अपनी बेटी को बचाने के लिए हर हद पार कर जाते हैं, और खून करते है।
कहानी होती है दिल्ली के रहने वाले अविनाश सभरवाल (अभिषेक बच्चन) जो एक साइकेट्रिस्ट है और आभा सभरवाल (नित्या मेनन) जो एक सेफ हैं। दोनों की छह साल की बेटी सिया (इवाना कौर) का अचानक अपहरण हो जाता है। उसके कुछ दिन पहले नोएडा की एक मेडिकल स्टूडेंट गायत्री (रेशम श्रीवर्धन) का भी अपहरण हो जाता है।
9 महीने बीत जाते है दोनों का कुछ पता नहीं चलता। और अचानक एक दिन किडनैपर का मैसेज अविनाश के पास आता है कि उसे सिया जिंदा चाहिए, तो उसे किडनैपर का काम करना पड़ेगा। और वो काम होता है दूसरों कि हत्या करना। रावण के 10 सिर में हर एक लक्षणों का आह्वान होता है – क्रोध, वासना, अहंकार, भय इत्यादि, इसी के साथ फिरौती के तौर पर किडनैपर 10 लोगों की हत्या करवाता है।
इस सीरीज में भी अमित साध और हृषिकेश जोशी है। दोनों का ट्रांसफर मुंबई से दिल्ली हो जाता है, और अविनाश जिनकी हत्याएं के रहा है, उसका केस कबीर सावंत (अमित साध) को मिल जाता हैं।
इसके साथ कहानी आगे बढ़ते जाती है। किडनैपर कौन है, और वो क्यूं ऐसा कर रहा है, इसके लिए आपको पुरी वेब सीरीज देखनी पड़ेगी।
वेब सीरीज के टोटल 12 एपिसोड है। एक एपिसोड 40 से 50 मिनट का है।
किरदार और अभिनय –
अभिषेक बच्चन ने बतौर डेब्यू डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अच्छा काम किया है। उनका अभिनय भी काबिले तारीफ है।
अमित साध ने एक बार फिर दमदार अभिनय के साथ अपना लोहा मनवाया है।
नित्या मेनन का अभिनय भी आत्मविश्वास से भरपूर और बढ़िया है। हृषिकेश जोशी भी प्रभावशाली हैं। श्रीकांत वर्मा की कॉमिक टाइमिंग अच्छी है। मेघना की भूमिका में प्लाबिता बोरठाकुर बहुत प्यारी लगी हैं। रेशम श्रीवर्धन का काम भी अच्छा है। जेबा रिजवी ने अपने किरदार के साथ न्याय किया है। पा की भूमिका में एन. रवि और नताशा गरेवाल की भूमिका में श्रुति बापना का अभिनय उल्लेखनीय है। बाकी सारे कलाकारों ने भी अपने हिस्से का काम ठीक किया है।
देखें ये ना-
सीरीज की कहानी उतनी दमदार नहीं है। रोमांच की भी कमी है। पहले एपिसोड से लगता है कि आगे कहानी में रोमांचक मोड़ आएगा, पर ऐसा कुछ भी नहीं है, बल्कि जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, सिरीज की पकड़ ढीली पड़ जाती हैं। और एक समय के बाद कहानी प्रेडिक्टेबल हो जाती है। सीरीज काफी लंबी है और थोड़ी उबाऊ भी। एपिसोड्स कुछ कम हो सकते थे। एक साइको क्राइम थ्रिलर शो में सबसे अहम चीज होती है उसकी गति, पर ब्रीद के दूसरे सीजन की गति धीमी है।
स्क्रिप्ट की डिटेलिंग बढ़िया है, पर किरदारों को और बढ़िया से गढ़ा जा सकता था। मयंक शर्मा का निर्देशन ठीक है, लेकिन पहले सीजन जैसा प्रभाव वह नहीं छोड़ पाते।
कुल मिलाकर इस सीरीज को एक बार देखा का सकता है, ये आपको निराश नहीं करेगी।
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