देश की पहली वैक्सीन COVAXIN की मानव प्रशिक्षण देश के कई क्षेत्रों में शुरू हो गया है। लेकिन राजधानी दिल्ली में AIIMS की वैज्ञानिको की टीम ने वैक्सीन के मानव प्रशिक्षण के प्रोटोकॉल में बदलाव लाने की बात कही है।एम्स मे रिसर्च विंग की एथिक्स कमेटी ने सैंपल सर्वे के लिए दोनो चरण मे 375 की जगह 1125 स्वस्थ और स्वेच्छा से आगे आए लोगों पर परीक्षण करने का तय किया था जिसमे उन्होंने बदलाव की बात की है।
11 बिंदुओं में सुझाव का सुधार
एम्स के रिसर्च विंग के मुताबिक एथिक्स कमेटी ने आईसीएमआर और सरकार को प्रोटोकॉल के 11 पॉइंट्स में बदलाव लाने के सुझाव दिये है। उन्होंने कहा कि इससे परीक्षण ज्यादा व्यावहारिक, वैज्ञानिक और सटीक हो जाएगा। मौजूदा प्रोटोकॉल के मुताबिक, इस वैक्सीन का परीक्षण कोरोना वायरस पर असर, शरीर पर आंतरिक और बाह्य असर, साइड इफेक्ट, शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता पर असर और असर की अवधि का परीक्षण किया जाएगा।
बदलाव के लिए उन्होंने कहा की प्रशिक्षण का प्रोटोकाल फ़ास्ट होना चाहिए। इसे फ़ास्ट ट्रैक रखने के लिए अगर इसका सैंपल टारगेट ज़्यादा हो तो नतीजे सटीक आएंगे। एम्स और बाकी संस्थानों के नजरिए में यही फर्क है कि हम रिसर्च को सटीक और अचूक नुस्खे की ऊंचाई तक ले जाना चाहते है।
अभी क्या है प्रोटोकॉल?
अगर अभी के प्रोटोकॉल की बात करे तो पहले चरण में 18 से 55 साल के स्वस्थ लोगो पर यह ट्रायल होगा। दूसरे चरण में 12 से 65 साल के लोगो पर इसका प्रशिक्षण किया जाएगा। और इसमे काफी ज्यादा समय लगेगा लेकिन फिर भी इसे 15 अगस्त को लांच करने की बात कही जा रही है।
आज से शुरू होगा एनरॉलमेंट
ICMR और फार्मसूटिकल कंपनी भारत बायोटेक द्वारा इस वैक्सीन का लांच होगा। अभी तक वैक्सीन की प्रेक्लीनिकल स्टडी पूरी हो चुकी है। वैक्सीन के दो फेज में ह्यूमन ट्रायल होंगे जो अभी बाकी है। 7 जुलाई यानी आज से ही मानव प्रशिक्षण के लिए एनरोलमेंट शुरू कर दिया गया है। अगर दोनों फेज के ह्यूमन ट्रायल सफल हो जाते है तो 15 अगस्त तक हमारे पास वैक्सीन आ जायेगी।
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