खादी और ग्रामोद्योग आयोग ( KVIC ) ने राजस्थान के पोखरण में कुम्हार सशक्तिकरण योजना ” शुरू की है . ताकि मिट्टी के बर्तनों की खोई हुई कला को पुनर्स्थापित किया जा सके जिससे कुम्हारों को मुख्य धारा से जोड़ा जाए और उन्हें लोकल वोकल के तहत रोज़गार उपलब्ध हो पाए और उनकी कला को उनके हक की पहचान ज़रूर मिले।
इसके तहत , केवीआईसी ने पोखरण में 80 कुम्हार परिवारों को 80 इलेक्ट्रिक पॉटर व्हील वितरित किए , जिसमें टेराकोटा उत्पादों की समृद्ध विरासत है ।
इसके अतिरिक्त उन्हें 10 कुंहारों को 8 आनुमिश्रक मशीन उपलब्ध कराई गई है।अनुमिश्रक मशीन मिट्टी को मिलने में इस्तेमाल में ली जाती है एवं इसकी क्षमता 8 घण्टे में करीबन 80 किलो की मिट्टी को कीचड़ में बदल सकती है।
KVIC द्वारा अभी तक 350 कुम्हारों का सृजन किया गया है।
ईस योजना का मुख्य उद्देश्य कुम्हारों को स्वरोजगार उपलब्ध कराना है और मिट्टी के बर्तनों की खोई हुई कला को पुनर्जीवित करना है ।
पोखरण एक आकांक्षी जिलों में से एक है जिसे नीती अयोग द्वारा पहचाना जाता है । पोखरण ने भारत के पहले भूमिगत परमाणु हथियार , बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए परीक्षण स्थल के रूप में कार्य किया ।पोखरण में करीब 300 से ज्यादा कुन्हार परिवार रहते है जो पीढ़ी दर पीढ़ी मिट्टी के बर्तनों का निर्माण कार्य कर रहे है लेकिन बाज़ारों में उन्हें उनकी कला की वह कीमत नही मिल रही जिस वजह से वो दूसरे कामों को अपनाना शुरू कर चुके है।इस योजना से कुम्हारों में उनकी कला के प्रति समाज की सजगता से एक सम्मान मिलेगा और उनकी कला को पुनर्जीवित किया जा पायेगा।
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