मंदी को आम तौर पर आय , बिक्री और रोजगार में गिरावट के साथ दो लगातार तिमाहियों ( छह महीने ) के लिए समग्र आर्थिक गतिविधि में गिरावट के रूप में परिभाषित किया गया है ।
1947 स्वतंत्रता के बाद से , भारत ने चार बार मंदी देखी गयी है । भारतीय रिजर्व बैंक ( RBI ) के अनुसार , 1958 , 1966 , 1973 और 1980 में मंदी आई थी। – 1.2 % ( FY58 ) , -3.66 % ( FY66 ) , -0.32 % ( FY73 ) और -5.2 % ( FY80 ) का संकुचन हुआ था। 1 भारत की जीडीपी में गिरावट पिछली जितने भी बार आयी उसके सिर्फ दो ही कारण देखे गए-कमज़ोर मॉनसून और ऊर्जा में संकट उतपन्न होना।
- वित्त वर्ष 2015 में मंदी का कारण भुगतान संतुलन बीओपी का संकट था।
- वित्त वर्ष 66 में मंदी गंभीर सूखे के कारण हुई थी।
- वित्त वर्ष 73 में मंदी ऊर्जा संकट के कारण हो गयी थी ।
- वित्त वर्ष 80 में मंदी 1979- 80 के दौरान तेल के झटके के कारण हुई थी।
अब जो मंदी के हालात उतपन्न हुए है वो सिर्फ और सिर्फ कोरोना वायरस की वजह से देश भर में लगाये लॉक डाउन से अर्थव्यवस्था पूरी हिल चुकी है।यह मंडी का दौर 1947 के बाद का सबसे ज्यादा बुरे हालात उतपन्न करने वाली है।
लगभग -5.2 % से भी नीचे की गिरावट देखने को मिलेगी।यह हालात इतने बुरे नही होते अगर 2017 ,2018,2019 में हमारे देश की अर्थव्यवस्था तक चल रही होतीत, तब भी अर्थव्यवस्था डगमगाई हुई थी और लॉक डाउन से यह हालात और गंभीर होते हुए दिखाई दे रही है.
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