आज नेपाल की संसद में नया बिल पारित हुआ जिसमे नेपाल ने भारत के हिस्सो को अपना बताया था । अब यह नया नक्शा नेपाल का कानूनी नक्शा माना जायेगा । 18 मई को घोषित इस नए नक्शे पर इतने विवाद के बावजूद नेपाल ने इस नक्शे को संवैधानिक रूप से अधिकृत किया । हैरानी की बात यह है की किसी भी बिल को पारित करने के लिए 2/3 वोट की आवश्यकता होती है । लेकिन नेपाल की संसद में एक भी वोट इसके खिलाफ नही डाला गया और सभी सदस्यों ने विवादित हिस्सो को नेपाल के हिस्से बताये। पूर्ण सहमति से यह नक्शा अब नेपाल का संवैधानिक नक्शा होगा।
डॉ शिवमाया ने इस बिल को संसद में रखा और अब जब यह पास हो चुका है, नेपाल की राष्ट्र सभा मे भी इसकी वोटिंग करी जाएगी ।
लिपुलेख से धारचूला तक सड़क बनने के बाद से ही यह विवाद सामने आया । 3 मई को इस सड़क का उदघाटन किया गया था उसी के चंद दिन बाद 13 मार्च को नेपाल ने इसपर आपत्ति जताते हुए इन क्षेत्रों को अपना बताया। इस विषय मे भारत ने असहमति जताते हुए नेपाल को सीधा जवाब भी दिया था । लेकिन अब ऐसा लग रहा की नेपाल भारत के साथ अच्छे रिश्ते नही रखना चाहता है ।
ऐतिहासिक तौर पे काली नदी ही भारत और नेपाल की सीमाओं का दायरा तय करता है लेकिन अब नेपाल इस बात को नकार रहा है । 1816 में नेपाल और ईस्ट इंडिया कंपनी के एक समझौते पर दस्तखत हुए थे जिसमें नेपाल ने काली नदी को ही अपनी सीमा माना था। अब आगे होने वाले फैसलों पर क्या असर होगा ये देखना खास बात रहेगी।
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